भ्रष्टाचार सिर्फ रूपयों पैसों के अनैतिक तरीके से लेनदेन तक ही सीमित नहीं होता है, कार्य को सत्यनिष्ठा से नहीं करना, कार्यालय में समय पर नहीं आना, किसी भी आगन्तुक का कार्य समय पर नहीं करना, उसके काम को टरकाना और कार्य को एक दूसरे पर डालना यह भी भ्रष्ट आचरण के आधुनिक प्रमाण है।
दूसरों को दुःखी करके कुछ समय के लिये खुश हुआ जा सकता है पर वह स्वयं के भविष्य के लिये अच्छा नहीं है, कार्यालय में समय पर आने से आधी समस्या का समाधान तो वैसे ही हो जाता है, बडी मुश्किल से आपको अगर सरकारी नौकरी मिली है जो वेतन भी उचित प्राप्त होता है, उसी वेतन से आपका घर चलता है तो, उस वेतन का हर हाल में सम्मान होना चाहिए। किसी भी समस्या का समाधान स्वयं से ही सम्भव है, काम को टालने कि प्रवृति स्वयं की उन्नति एवं मानसिक विकास का सबसे बड़ा बाधक तत्व है। आप दुसरों की तरफ नहीं देखें स्वयं अपना आंकलन करें।
देश के सभी निजी और सरकारी कार्यालयों में सभी से निवेदन है कि अपने अपने कार्यो को ईमानदारी से और समय पर पूरा करें।
इस अच्छे कार्य की शुरुआत अपने से ही प्रारम्भ करे। निजी व सरकारी कार्यालयों में सभी से निवेदन है कि कार्य को ईमानदारी से करके एक मिशाल पेश करें और इस अच्छे कार्य की शुरुआत स्वयं से प्रारम्भ करें। इस अच्छी बात की शुरुआत अपने से करेंगे तो धीरे धीरे यही बात आपकी आदत भी बन जाएगी और एक दिन आपकी अच्छाई से आपकी पहचान सभी तरफ फैलने लगेगी।
विचारक- अभियंता अनिल सुखवाल