"धारा 3 का दुरुपयोग का मामला, आरोपी बहू की गिरफ्तारी पर राजस्थान हाईकोर्ट की रोक"


"धारा 3 का दुरुपयोग का मामला, मारपीट व जातिसूचक गालियाँ देने की आरोपी बहू की गिरफ्तारी पर राजस्थान हाईकोर्ट की रोक"

Chittorgarh:- मामला धारा 3 से संबंधित है जो शायद राजस्थान ही नही देश का ऐसा पहला मामला होगा, दरअसल आपको बता दे कि सुमित्रा मीणा पत्नि भँवर लाल मीणा निवासी गांधीनगर, चित्तौड़गढ़ ने पुलिस थाना कोतवाली, चित्तौड़गढ़ में यह प्रथम सूचना दर्ज कराई थी कि काजल शर्मा नाम की औरत जो अपने आप को मेरे बेटे सुमित मीणा की पत्नि बताती है तथा उसने मेरे व मेरे परिवारवालों को मीणा-मीणा की गाली दी थी, जिस पर पुलिस ने धारा 323, 341 आईपीसी तथा धारा 3(1)(r) व 3(1)(s) अनुसूचित जाति व जनजाति अधिनियम में मुकदमा दर्ज करके जाँच पुलिस उप अधीक्षक कर रहे थे।

आरोपी काजल शर्मा की ओर से एडवोकेट निखिल भण्डारी ने उक्त प्रथम सूचना निरस्त कराने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में एक फौजदारी विविध याचिका साथ ही आरोपी काजल शर्मा की गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए फौजदारी विविध स्थगन याचिका पेश की थी।

एडवोकेट निखिल भण्डारी ने राजस्थान हाईकोर्ट के सामने बहस करते हुए यह तर्क प्रस्तुत किए कि काजल शर्मा परिवादियाँ सुमित्रा मीणा के पुत्र सुमित मीणा की पत्नि है जिसके अपने पति सुमित मीणा से एक पुत्र गीतांश मीणा भी है, जिसके आधार कार्ड व जन्म प्रमाण-पत्र की प्रति भी एडवोकेट निखिल भण्डारी ने राजस्थान हाईकोर्ट में पेश की थी। एडवोकेट निखिल भण्डारी ने यह बहस भी की कि काजल शर्मा ने अपने पति के खिलाफ सन् 2020 में पुलिस थाना चित्तौड़गढ़ में यह प्रथम सूचना दर्ज कराई थी कि उसका पति उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करता है तथा काजल को अपनी पत्नि मानने से भी इन्कार कर रहा हैं जिस पर पुलिस ने अनुसंधान पूरा कर काजल शर्मा के पति सुमित मीणा के खिलाफ धारा 376-ए व 498-ए आईपीसी में चार्जशीट पेश की थी, जो मुकदमा कमिट होकर वर्तमान में अपर सैशन न्यायाधीश संख्या-3, चित्तौड़गढ़ के यहाँ विचाराधीन है। एडवोकेट निखिल भण्डारी ने आगे बहस करते हुए यह भी बताया की काजल शर्मा ने अपने पति सुमित मीणा व सास सुमित्रा मीणा के खिलाफ घरेलु हिंसा का मुकदमा भी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, चित्तौड़गढ़ के यहाँ किया है। एक मुकदमा महिला थाना में भी दर्ज कराया था, इसके अलावा भी काजल शर्मा ने उपखण्ड मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक व पुलिस थाना, चित्तौड़गढ़ में भी कई बार लिखित शिकायतें काजल शर्मा ने अपने पति सुमित मीणा, सास सुमित्रा मीणा व अन्य ससुरालवालों के खिलाफ दी हैं. एडवोकेट निखिल भण्डारी ने यह भी बहस की कि सुमित्रा मीणा की प्रथम सूचना रिपोर्ट में उच्च जाति के 2 चश्मदीद गवाह के नाम नहीं बताए गए हैं जिनके अभाव में अनुसूचित जाति व जनजाति अधिनियम में वर्णित कथित अपराध बनता ही नहीं हैं। 

राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर के न्यायाधीश जस्टिस डाॅ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी ने एडवोकेट निखिल भण्डारी के तर्कों से सहमत होते हुए काजल शर्मा की सास सुमित्रा मीणा को नोटिस जारी करते हुए काजल शर्मा को इस मुकदमें में पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने से तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी।

Reporter:-Durgesh Kumar Lakshkar 
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