कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत राज्यपाल द्वारा उनके खिलाफ जांच की मंजूरी को चुनौती दी थी। यह मामला मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) के भूमि आवंटन से जुड़ा है।
न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन की मंजूरी में राज्यपाल द्वारा "मनमानी" या गैर-जिम्मेदाराना रवैया नहीं अपनाया गया था।
सिद्धारमैया ने अपनी याचिका में राज्यपाल द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17 ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 218 के तहत दी गई मंजूरी की वैधता पर सवाल उठाया था।
MUDA साइट आवंटन मामले में आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी बी.एम. पार्वती को मैसूर के एक उच्च-मूल्य वाले क्षेत्र में गलत तरीके से मुआवजे की जमीन आवंटित की गई थी।